$32.99
Usually Ships in 1-5 Days
Description
कादंबरी मेहरा की कहानियों का यह नया संग्रह एक बार फिर पाठकों के समक्ष, वास्तविक जीवन से उठाई गई आम आदमी की समस्याओं व उन्हें झेलनेवाले स्त्री-पुरुष पात्रों को उनके मूल स्वरूप में प्रस्तुत करता है। जागरूक व शिक्षित भारत में अभी भी पत्नी 'चिर पराई' है, विधवा को 'दूसरी बार' जीवनसंगिनी बना लेने में समाज की मान्यताएँ बाधित करती हैं, कमजोर पति की ब्याहता केवल एक मानहीन भोग्या मात्र है, जिसका प्रतिकार भगवान् उसे स्वस्थ और उत्तरजीवी बनकर लेता है। 'बाबाजी', 'खादानों के शहर', 'विम्मी' आदि कहानियाँ हिंदी जगत् के पाठकों को दूरस्थ देशों के पार्श्व से परिचित करवाती हैं तो 'एक खत', 'मिलन हो कैसे' समाज के अँधेरों को फरोलती हैं। कांदबरी मेहरा की संवेदनशील पैनी कलम से रँगी भारतीय समाज की सरल प्रस्तुति।